किशोर बेटे-बेटियों से गहरा रिश्ता कैसे बनाएं? | teen Parenting 7 महत्वपूर्ण टिप्स 2024!

Table of Contents

4/5 - (1 vote)

दोस्तों,

किशोरावस्था एक ऐसा मोड़ है जहां बच्चे शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक तौर पर बहुत बड़े बदलावों से गुजरते हैं। उनके मन में अनगिनत सवाल उठते हैं और वे उनके जवाब ढूंढने की कोशिश करते रहते हैं। कुछ सवाल ऐसे होते हैं जो आपको गुस्सा दिला देते हैं, कुछ पर आप मुस्कुरा सकते हैं और कुछ का जवाब देना आसान होता है जबकि कुछ पर आप चुप्पी साध लेते हैं। तो आजके इस ब्लॉग में हम जानेंगे की आप की किशोर बेटे-बेटियों से गहरा रिश्ता कैसे बनाएं? और Teen पेरेंटिंग के 7 महत्वपूर्ण टिप्स!

अगर आप सावधानीपूर्वक अपने किशोर बच्चों के साथ काम करें, तो आप उनके साथ एक मजबूत रिश्ता बना सकते हैं। ऐसा करने से न केवल उनके बौद्धिक विकास में मदद मिलेगी बल्कि वे बेहतर इंसान भी बनेंगे।

how to listen teenagers
how to listen teenagers

Tip 1: किशोर बच्चे की बात ध्यान से सुनें!

इसलिए सबसे जरूरी है कि जब भी आपका बच्चा कुछ कहना चाहे तो उसकी बात ध्यान से सुनें। सिर्फ सुनना ही नहीं बल्कि बीच-बीच में कुछ सवाल भी पूछें ताकि वह महसूस करे कि आप उसकी बातों में दिलचस्पी ले रहे हैं।

अगर आपका बच्चा कुछ कहना चाहे तो उसकी बातों को नजरअंदाज न करें बल्कि उसकी बातों को समझने की कोशिश करें। धीरे-धीरे आपको पता चलेगा कि वह पहले आपसे ही हर बात शेयर करेगा क्योंकि आप ध्यान से सुनते हैं।

जब आपके किशोर बच्चे आपसे कुछ साझा करें तो पूरी तरह ध्यान दें। उन्हें बीच में न टोकें। जब वे अपनी बात पूरी कर लें तब उत्तर दें। ऐसा करने से वे महसूस करेंगे कि आप उनकी बातों को सुन रहे हैं और उनकी परवाह करते हैं। साथ ही आप उनके विचारों और भावनाओं को भी बेहतर समझ पाएंगे।

Tip 2: किशोर बच्चे के अनुभवों और भावनाओं का सम्मान करें!

किशोर बेटे से रिश्ता बनाना
किशोर बेटे से रिश्ता बनाना

किशोरावस्था(Teenage) में शारीरिक और भावनात्मक बदलाव बहुत मुश्किल होते हैं। इसलिए अगर आपका बच्चा किसी चीज से परेशान है तो उसकी इस परेशानी को हल्के में न लें। बल्कि, उसकी भावनाओं को वैध मानें और समझने की कोशिश करें। ऐसा करने से वह महसूस करेगा कि आप उसके पक्ष में हैं।

बहुत बार ऐसा देखा गया है कि जब कोई बच्चा अपने मां-बाप से कुछ शेयर करना चाहता है तो उनकी पहली प्रतिक्रिया होती है बहाना बनाना या बच्चे की बात को नजरअंदाज करना। ऐसा करना उनके अनुभवों और भावनाओं का अपमान करना है। बच्चों को यह बहुत बुरा लगता है। इसलिए यह बात को जानना बेहद जरूरी है कि वह क्यों ऐसा सोच रहा है।

ऐसी परिस्थितियों में उसकी बात समझने और समझाने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो धीरे-धीरे बच्चा आपके और करीब आएगा। उसे एहसास होगा कि आप उसकी भावनाओं और अनुभवों की कद्र करते हैं। चाहे वे अनुभव अच्छे हों या बुरे, सही हों या गलत, छोटे हों या बड़े।

इसलिए आज से ही यह ध्यान रखें कि अगर आपका बच्चा आपके साथ कुछ शेयर करना चाहता है तो उसकी बात ध्यानपूर्वक सुनें। उसे बीच में न टोकें बल्कि उसकी भावनाओं और अनुभवों का सम्मान करें। ऐसा करने से न केवल बच्चे को अच्छा लगेगा बल्कि आप भी अपने बच्चे को बेहतर समझ पाएंगे।

Tip 3: किशोर बच्चे की निजता (Privacy) का सम्मान करें

 क्या आपको प्राइवेसी पसंद है? अगर हाँ, तो समझ लीजिए कि आपके बच्चे को भी प्राइवेसी की जरूरत है। हर किसी को अपनी निजी जगह चाहिए जहाँ वह बिना किसी डर के जी सके। जैसे आपको प्राइवेसी चाहिए, वैसे ही आपके किशोर बच्चों को भी निजता की जरूरत होती है।

बहुत सारे मां-बाप अपने बच्चों पर नजर रखने के लिए जासूसी करते रहते हैं या उनके व्यक्तिगत संसाधनों जैसे मोबाइल, संदेशों या डायरी को देखते रहते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अगर आप उनका विश्वास चाहते हैं तो आपको उनकी प्राइवेसी का भी सम्मान करना होगा।

किशोरों के पालन के लिए  7  टिप्स
किशोरों के पालन के लिए 7 टिप्स

Tip 4: उनपर जिम्मेदारियां सौंपें और भरोसा करें!

 बहुत सारे मां-बाप सोचते हैं कि उनका बच्चा अभी भी बच्चा ही है, चाहे वह teen के age का हो या उससे ज्यादा,  उसे जिम्मेदारियां नहीं दी जा सकतीं। लेकिन जब बच्चा किशोरावस्था में प्रवेश करता है तो उसे धीरे-धीरे जिम्मेदारियां सौंपनी शुरू कर दें। साथ ही उसे यह भी बताएं कि अगर कुछ गड़बड़ हुई तो आप उसके साथ हैं।

जब आप अपने किशोर बच्चे पर भरोसा करेंगे और उसे जिम्मेदारियां देंगे तो वह उन्हें बखूबी निभाएगा। क्योंकि आपने उसपर विश्वास जताया होगा न कि यह कहा कि तू इतना नहीं कर सकता। बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर होने से उन्हें छोटी-छोटी चीजें भी डरावनी लगने लगती हैं।

इस प्रकार जब आप अपने किशोर बच्चे को छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देंगे तो उसके अंदर निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी। कुछ निर्णय सही होंगे, कुछ गलत। लेकिन आप उसके पीछे खड़े रहेंगे। धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आने वाले दिनों में वह बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी भी निभा सकेगा।

इसलिए किशोरों को स्वायत्तता और जिम्मेदारी दें। उन पर भरोसा करें और उन्हें निर्णय लेने की क्षमता दें। जब वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करेंगे तब इससे आपका उन पर विश्वास और बढ़ेगा।

Tip 5: उनके बचपन की बातें न उठाएं और न ही उन पर हंसें!

अक्सर माता-पिता जब बच्चे किशोरावस्था में प्रवेश करते हैं तो उनकी बचपन की यादें ताजा कर उनका मजाक उड़ाना शुरू कर देते हैं। जैसे “याद है जब तू छोटा था तो बैठना भी नहीं आता था।” या “तुझे खाना भी ठीक से नहीं आता था।” ऐसा करके आप सिर्फ अपने मजे लेंगे, लेकिन बच्चे को बहुत शर्मिंदगी महसूस होगी। उसे लगेगा कि उसके मां-बाप उसका मजाक उड़ा रहे हैं

इसलिए कभी भी ऐसी बातें न करें जिनसे आपके बच्चे को शर्म महसूस हो। अगर उसने बचपन में कोई ऐसा काम किया है जिसपर आप गर्व महसूस करते हैं तो उसकी तारीफ जरूर करें। लेकिन उसकी गलतियों का मजाक उड़ाने से बचें। इससे आपका बच्चा और अधिक बंद होने लगेगा।

किशोर बेटों-बेटियों को समझने के 7 टिप्स
किशोर बेटों-बेटियों को समझने के 7 टिप्स

TIP 6 : बेझिझक अपनी भावनाएं साझा करें!

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपके साथ खुलकर बातें करे, तो इसके लिए आपको भी खुद को खोलना होगा। अपनी भावनाओं और अनुभवों को उनके साथ साझा करना होगा। ऐसा करने से आप उनके और करीब आएंगे।

उन्हें लगेगा कि उनके मां-बाप भी इतने अप्रॉचेबल हैं, वे भी इंसान हैं। धीरे-धीरे यह आपके और आपके बच्चे के बीच एक अलग ही बॉन्डिंग और विश्वास का माहौल बनाएगा। आपको किसी को यह नहीं कहना पड़ेगा कि ‘मेरा बच्चा मेरी बात नहीं सुनता।

TIP 7 : अपने गलतियों को स्वीकार करें और माफी मांगें!

जैसा कि हमने पहले बताया, कोई भी पूर्ण नहीं है। इसलिए अगर आपने कोई गलती की हो तो उसे स्वीकार करें और अपने किशोर बच्चे से माफी मांग लें। यह उन्हें दिखाएगा कि आप विनम्र हैं और जब गलत होते हैं तो इसे स्वीकारते हैं। इससे विश्वास बनाने में मदद मिलेगी।

बहुत बार देखा गया है कि जब बच्चा गलती करता है और अगर वह स्वीकार नहीं करता, तो माता-पिता धमकी देते हैं – “मान ले नहीं तो मारूंगा/पिटाई करूंगा।” लेकिन यदि सच्चाई कहने पर ही दंड मिलेगा तो कौन गलती स्वीकारेगा? इसके विपरीत, जब बच्चा गलती स्वीकार करता है तो आपको उसे सम्मान देना चाहिए। उसका हौसला बढ़ाना चाहिए ताकि आगे भी वह बेझिझक अपनी गलतियां स्वीकार करे।

साथ ही, आपको भी बच्चे को माफ करना सिखाना चाहिए। उसे समझाना चाहिए कि हर किसी से गलतियां हो सकती हैं और अगर किसी ने गलती की है तो उसे माफ भी किया जा सकता है।

समग्र रूप से, किशोरों के साथ विश्वास का रिश्ता बनाना एक लंबी और धैर्यपूर्ण प्रक्रिया है। लेकिन अगर आप प्रेम, सम्मान और खुलेपन के साथ इसपर काम करेंगे तो आप निश्चित रूप से अपने किशोर बच्चों से एक करीबी रिश्ता बना सकते हैं और उनके सर्वांगीण विकास में मदद कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न: अगर मेरा किशोर बच्चा मुझसे बात करना नहीं चाहता है तो मैं क्या करूं?

उत्तर: धैर्य रखें और उन्हें जबरदस्ती बात करने के लिए मजबुर न करें। अकेले समय में उनके साथ बैठें और कोई बहाना न बनाएं। जब वे तैयार होंगे तो वे खुद बात करेंगे। उस समय तक उनकी privacy का सम्मान करें।

प्रश्न: क्या मुझे अपने किशोर बच्चे की गतिविधियों की पूरी जानकारी होनी चाहिए?

उत्तर: नहीं, आपको उनकी सभी गतिविधियों को जानने की जरूरत नहीं है। उन्हें कुछ privacy की जरूरत है। बस यह सुनिश्चित करें कि वे सुरक्षित और स्वस्थ रहें।

प्रश्न: अगर मेरा किशोर बच्चा गलत संगत में पड़ा हुआ है तो मैं क्या करूं?

उत्तर: गुस्से में आकर या डांटकर स्थिति को और खराब न करें। बेहतर है कि आप शांत रहें और उसके साथ इस बारे में बात करें। उसे समझाएं कि आप उसकी चिंता क्यों करते हैं और उसे सुरक्षित और सकारात्मक माहौल में रहने के लिए प्रोत्साहित करें।

प्रश्न: मुझे अपने किशोर बच्चे को कितनी स्वतंत्रता देनी चाहिए?

उत्तर: यह व्यक्तिगत आधार पर निर्भर करता है। जितना संभव हो उतनी स्वतंत्रता दें लेकिन साथ ही साथ उचित सीमाएं भी निर्धारित करें। उनके विकास के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारियों को भी बढ़ाएं।

प्रश्न: अगर मेरा किशोर बच्चा मुझसे झूठ बोलता है तो मैं क्या करूं?

उत्तर: शांत रहें और उसे डरा कर या डांटकर स्थिति को और ना बिगाड़े। उसके साथ खुलकर बात करें और पता लगाएं कि उसने क्यों झूठ बोला। उसे यह समझाएं कि आप उसका साथी हैं और विश्वास की बुनियाद पर संबंध बनाना चाहते हैं।